एक हारे हुए दिन के बाद उसने घर पहुँच कर घंटी पर हाथ रखा ही था जब उसे याद आया की अन्दर कोई न था. चाबी निकालने के लिए जब हाँथ बैग के अन्दर डाला तो ऐसा लगा जैसे १ महीना नहीं बरसों बीत गए हों उस चाबी को वोही रखे हुए. जैसे वोह भी कुछ रोज़ चैन की नींद सोयी थी.कुछ रोज के लिए ही सही वोह घर वापिस घर लगने लगा था. बड़े दिनों बाद दोतरफा आवाजें आती थी उस घर से. और रात में २ लोग अपनी आने वाले जीवन के बारे में बातें करते हुए उस कमरे को भी कुछ ऐसे ख्वाब दिखा जाते थे जो वोह दीवारें दिन भर जीतीं.
वोह चाबी घुमाने में न जाने कितना वक़्त लगा उसे की कई बार ख्याल आया की वापस लौट जाए.कमरे में घुसते ही जो तन्हाई चुपचाप उसकी राह तकती थी आज वोह भी आते से ही शिकायत करने लगी. चूल्हे पे चाय चढ़ाई तोह उसने भी इक अजनबी भरी निगाह से देखा. जैसे की उसे किसी और की तलाश थी. हाँ चाय का ज़िम्मा तोह अनुराग का था और खाना भी आकांक्षा कितने प्यार से बनाती थी.उसे खुद को न कुछ खाने का शौक था न बनाने का.
Kitchen तो भूख हाथ पकड़कर ज़बरदस्ती ले जाया करती थी उसे . फिर कुछ खाके जब सोने लगी तो कुछ बोलते बोलते रह गयी. उठा देना मुझे एक घंटे बाद. Gym जाना है. इससे पहले की कुछ और सोच पाती जल्दी से घडी में अलार्म लगाया और सो गयी.
शाम में जब उठी सब कुछ वैसा ही था जैसे उसने छोड़ा था. दरवाज़े की तरफ देखा तोह तीन की जगह सिर्फ एक कुण्डी लगी थी.
देखकर हंस दी कैसे लोग कुछ पल के लिए ही आकर हर कहीं अपनी छाप छोड़ जाते हैं.
वोह चाबी घुमाने में न जाने कितना वक़्त लगा उसे की कई बार ख्याल आया की वापस लौट जाए.कमरे में घुसते ही जो तन्हाई चुपचाप उसकी राह तकती थी आज वोह भी आते से ही शिकायत करने लगी. चूल्हे पे चाय चढ़ाई तोह उसने भी इक अजनबी भरी निगाह से देखा. जैसे की उसे किसी और की तलाश थी. हाँ चाय का ज़िम्मा तोह अनुराग का था और खाना भी आकांक्षा कितने प्यार से बनाती थी.उसे खुद को न कुछ खाने का शौक था न बनाने का.
Kitchen तो भूख हाथ पकड़कर ज़बरदस्ती ले जाया करती थी उसे . फिर कुछ खाके जब सोने लगी तो कुछ बोलते बोलते रह गयी. उठा देना मुझे एक घंटे बाद. Gym जाना है. इससे पहले की कुछ और सोच पाती जल्दी से घडी में अलार्म लगाया और सो गयी.
शाम में जब उठी सब कुछ वैसा ही था जैसे उसने छोड़ा था. दरवाज़े की तरफ देखा तोह तीन की जगह सिर्फ एक कुण्डी लगी थी.
देखकर हंस दी कैसे लोग कुछ पल के लिए ही आकर हर कहीं अपनी छाप छोड़ जाते हैं.