वोह हवा के इक सर्द झोंकें की तरह था , न इतना तेज़ की तूफ़ान की तरह बुनियाद हिला दे और न साँसों की तरह हल्का जिसका एहसास ही न हो.
न उसके आने का डर होता न जाने की परवाह. बस जब रहता तोह कई एहसास कई अरमान जाग जाते, रूह मुस्कुराने लगती .
उसपे न कोई हक था न उसकी कोई ज़रुरत. वोह समंदर की तरह था जो किसी का नहीं था और सबका ही था.
न उसके आने का डर होता न जाने की परवाह. बस जब रहता तोह कई एहसास कई अरमान जाग जाते, रूह मुस्कुराने लगती .
उसपे न कोई हक था न उसकी कोई ज़रुरत. वोह समंदर की तरह था जो किसी का नहीं था और सबका ही था.