मेरे देश में इंसानियत न जाने किस कैफियत में जीती है,
पानी बहता है घर में, बाहर गरीबी दिनों की प्यासी होती है l
क्यों पालता हूँ मैं यह 15, 26 , 2 अक्टूबर के ढकोसले,
362 दिन जब मेरी मोहब्बत आँख मूँद कर सोती है l
क्यों स्वार्थ का अंत नहीं मेरे, क्यों मैं कुछ बाँट नहीं पाता,
गाडी की चमक के सामने, क्यों उसकी रोटी की भूख छोटी है l
" My boss is a sadist" goa के लिए छुट्टी देने से कतराता है,
मेरी 19 साल की नौकर का इक बार न आना, मुझे रास नहीं आता है l
"यह छोटे लोगों को छूट देना , होती है अच्छी बात नहीं ',
झट से कह देता हूँ मैं, आती उसकी बूढी अम्मी याद नहीं l
Pizza Hut में मैंने अपने बच्चे का जन्मदिन मनाया था,
उसके सामने २ बच्चों ने हमारा कूड़ा उठाया था l
पेशावर में जो हुआ, उससे मेरा खून खौला था,
३००० बच्चों को भूख ने उस दिन, मौत की तरफ धकेला था l
भिखारियों को पैसा देना, माफिया को बढ़ाता है,
NGO को दिया पैसा तोह करप्शन में ही जाता है l
मेरा दिल फेसबुक पर गरीबों के लिए धड़कता है ,
पर मुझे अपना पैसा मेरे बैंक में ही अच्छा लगता है l
मैं कैसे कर लेता हूँ यह, सोच के मैं शर्मिंदा हूँ,
AAM नहीं हूँ ख़ास हूँ मैं, यह सब करके भी ज़िंदा हूँ ll
पानी बहता है घर में, बाहर गरीबी दिनों की प्यासी होती है l
क्यों पालता हूँ मैं यह 15, 26 , 2 अक्टूबर के ढकोसले,
362 दिन जब मेरी मोहब्बत आँख मूँद कर सोती है l
क्यों स्वार्थ का अंत नहीं मेरे, क्यों मैं कुछ बाँट नहीं पाता,
गाडी की चमक के सामने, क्यों उसकी रोटी की भूख छोटी है l
" My boss is a sadist" goa के लिए छुट्टी देने से कतराता है,
मेरी 19 साल की नौकर का इक बार न आना, मुझे रास नहीं आता है l
"यह छोटे लोगों को छूट देना , होती है अच्छी बात नहीं ',
झट से कह देता हूँ मैं, आती उसकी बूढी अम्मी याद नहीं l
Pizza Hut में मैंने अपने बच्चे का जन्मदिन मनाया था,
उसके सामने २ बच्चों ने हमारा कूड़ा उठाया था l
पेशावर में जो हुआ, उससे मेरा खून खौला था,
३००० बच्चों को भूख ने उस दिन, मौत की तरफ धकेला था l
भिखारियों को पैसा देना, माफिया को बढ़ाता है,
NGO को दिया पैसा तोह करप्शन में ही जाता है l
मेरा दिल फेसबुक पर गरीबों के लिए धड़कता है ,
पर मुझे अपना पैसा मेरे बैंक में ही अच्छा लगता है l
मैं कैसे कर लेता हूँ यह, सोच के मैं शर्मिंदा हूँ,
AAM नहीं हूँ ख़ास हूँ मैं, यह सब करके भी ज़िंदा हूँ ll