काफिले की तलाश में,
हर बार चोट खायी है
इस ज़िन्दगी ने रज की बात ये सिखलाई है
जो जीवन भर साथ दे,
वोह सौगात किसने पायी है
मेरी राह के हमसफ़र का नाम ही तन्हाई है
जो थाम ले ये ज़िन्दगी,
ऐसा कोई बंधन कहाँ
साहिल की रेत पे लिखे
इक अनजान नाम की तरह
लहरें गुज़रती वक़्त की मिटा देती हैं हर निशान!
हर बार चोट खायी है
इस ज़िन्दगी ने रज की बात ये सिखलाई है
जो जीवन भर साथ दे,
वोह सौगात किसने पायी है
मेरी राह के हमसफ़र का नाम ही तन्हाई है
जो थाम ले ये ज़िन्दगी,
ऐसा कोई बंधन कहाँ
साहिल की रेत पे लिखे
इक अनजान नाम की तरह
लहरें गुज़रती वक़्त की मिटा देती हैं हर निशान!