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 नागरिक पार्टी Anthem 

3/19/2015

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हम भक्त नहीं
हम tard नहीं
फ़क्त इक इन्सां की
आवाज़ नहीं


336 हो या 67
नेता चाहिए सम्राट नहीं
हम आम नहीं हम खास नहीं
मालूम हमको है गलत सही

डेवलपमेंट हमको है भाता
गरीब भी नज़रअंदाज़ नहीं
अनुशासन के हम अनुयायी
साम्प्रदायिकता हमें बर्दाश्त नहीं

कदम रखना फूँक फूँक कर तुम
वोट दिया है, ईमान नहीं
इतिहास से कुछ तुम भी सीखो
इस बार जो है , अगली बार नहीं !

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जज़्बात

3/11/2015

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जज़्बात पानी जैसे तो होते हैं
पत्थरों से टकराके  बिखर जाते हैं
रुई के फाहे मगर उन्हें छूते ही पी लेते हैं

दर्द किसी और का दिखता भी है
अपने जैसा चुभता भी है  
 ज़हन में समाके न जाने कितनी खुशियों
को मसलता भी है

आह आहटें बन कानों में खटकती रहती हैं
और मैं अपना दिल लिए बैठा रहता हूँ
की कहीं से सुकून आ जाए

अपना दर्द आसां है निभाना
रोता हूँ तो दुनिया को समझ आता हूँ
दूजे के दर्द में रोयूं
तोह पगला मैं कहा जाता हूँ

मेरा भला चाहते होंगे
मुझे न सोचने की हिदायत देते हैं
मैं कैसे समझाऊँ,
रगों में बहते जज़्बातों को
मैं रोकना चाहूँ तोह रोकूँ कैसे  

अकेला पड़ जाता हूँ
तोह कलम के कान पर
खामोशियाँ कह देता हूँ
 मेरे जज़्बातों को मेरे  मर्म से निचोड़कर
न जाने कैसे
कलम उनकी स्याही बनाकर
सफ़्फ़ो को भिगो देता है
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दर्द 

3/10/2015

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मैं सुलगता रहा
रात भर
दर्द  पिघलता रहा
मोम जैसा
और गिरता रहा
मेरी साँसों पे

ठंडा होते से  चिपक जाता था
और मालूम रहता था दिन भर
तब भी जब मैं
किसी की अठखली पर
यूँही मुस्कुरा देता था
दिल रखने के लिए
उसका भी, अपना भी

balcony में बैठकर
नज़्म की नोक से कुरेदूं
तो शायद निकल जाएगा
वरना यूँ ही मुझसे चिपककर
मेरा वजूद बन जाएगा
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Happy Anniversary Mom and Dad

3/9/2015

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माँ मेरी झाँसी की रानी
पापा भी हैं बड़े सेनानी
चाहे जितने दिन हो न बात
देखते comedy circus साथ


माँ का नाम अर्चना है
पापा बुलाते 'अरे रचना ' हैं
माँ बचत की हैं अनुयायी
पापा का काम खरचना है

पापा हीरो बनते हैं
बिना बात के तनते हैं
मम्मी ज़मीं पर ले आती
रोज़ आपस में ठन्ते हैं

जब गाडी में घूमने जाते हैं
पापा ड्राइवर बन जाते हैं
माँ को कंडक्टरी करते देख
मज़े हमें बहुत आते हैं

अपनी बस है एक दुआ
३१ साल थे काफी खुशहाल
ऐसे ही ऊपरवाले तुम
आगे का रखना बहुत ख्याल

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