जाने किस बला का नाम है आज़ादी l
कभी मुकम्मल देखा नहीं उसे,
कभी कोई टुकड़ा मिल जाता है तोह मालूम होता है -
जैसे मिल जाता है बचपन को सीपों के बीच शंख कोई l
कहीं ठहरती भी नहीं ,
तारीख देकर बस पकड़ने की कोशिश करते हैं हम -
वह जैसे रोता हुआ बच्चा छूँठते आँचल को अपनी उँगलियों के दरमियान भींच लेता है l
कोई शक्ल भी कहाँ है ?
पिंजरे में बंद पंछी को नीले आसमान जैसी मालूम देती है -
और उड़ने वाला ढूंढ़ता है इक डाल , कुछ सुकून पाने के लिए l l
जाने किस बला का नाम है आज़ादी !
कभी मुकम्मल देखा नहीं उसे,
कभी कोई टुकड़ा मिल जाता है तोह मालूम होता है -
जैसे मिल जाता है बचपन को सीपों के बीच शंख कोई l
कहीं ठहरती भी नहीं ,
तारीख देकर बस पकड़ने की कोशिश करते हैं हम -
वह जैसे रोता हुआ बच्चा छूँठते आँचल को अपनी उँगलियों के दरमियान भींच लेता है l
कोई शक्ल भी कहाँ है ?
पिंजरे में बंद पंछी को नीले आसमान जैसी मालूम देती है -
और उड़ने वाला ढूंढ़ता है इक डाल , कुछ सुकून पाने के लिए l l
जाने किस बला का नाम है आज़ादी !