वोह दिन भी हुआ करते थे जब हर चीज़ हमेशा के लिए होती थी
उन्ही दिनों जो रिश्ते संजोये थे वोह आज तक मुकम्मल हैं
आजकल तोह सबकुछ, पानी के बुलबुलों सा, बनता है बिखरता है
उन्ही दिनों जो रिश्ते संजोये थे वोह आज तक मुकम्मल हैं
आजकल तोह सबकुछ, पानी के बुलबुलों सा, बनता है बिखरता है