Khan Market की नाज़ुक उन गलियों में
रोज़ एक कहकशां* को बनते देखा है
कुशादा* होती हैं ख्वाहिशें कितनी
अफ़सुर्दा-मिज़ाज़ों* को हँसते देखा है
वसीला* सबका है जो बसता है वहां
ख़िरद* को जज़्बातों का वर्क़* देता है
कहते हैं कई शख़्स हकीम* उसे
वो दवा में कभी दिलासा* , तो कभी तर्क* देता है
कभी कबीर, कभी बुद्ध ,कभी बुल्ले शाह
हदीसों* में उसके सबने अपना वजूद पाया है
कई काफ़िर* उसके कूचे में होते दाखिल* हैं
उसकी सौबत* में अक्सर, परस्तिश* में चूर पाया है।
कहकशां* - Galaxy - Here Constellation ; कुशादा - open up ; अफ़सुर्दा-मिज़ाज़ों - melancholic
वसीला - Supporter ; ख़िरद* - Rationality ; वर्क़* - The metal foil that covers sweets,
हकीम* - Doctor ; दिलासा* - Condolence ; तर्क* - argument
हदीसों - narrations ; काफ़िर* - non believers ; दाखिल* - enter ; सौबत* - company ; परस्तिश* - devotion
In those lean lanes of Khan Market
New constellations are formed every day
Many desires bloom and flourish
Many a depressed souls laugh everyday
He supports everyone, the man of the house
With emotions, the reality he seasons
He is famous as a doctor
Sometimes consoles, and sometimes reasons
He reminisces Kabir, Buddha and Bulleh shah
Everybody finds himself in his narrations
Many people come in doubting him
But are converted in his revelations
रोज़ एक कहकशां* को बनते देखा है
कुशादा* होती हैं ख्वाहिशें कितनी
अफ़सुर्दा-मिज़ाज़ों* को हँसते देखा है
वसीला* सबका है जो बसता है वहां
ख़िरद* को जज़्बातों का वर्क़* देता है
कहते हैं कई शख़्स हकीम* उसे
वो दवा में कभी दिलासा* , तो कभी तर्क* देता है
कभी कबीर, कभी बुद्ध ,कभी बुल्ले शाह
हदीसों* में उसके सबने अपना वजूद पाया है
कई काफ़िर* उसके कूचे में होते दाखिल* हैं
उसकी सौबत* में अक्सर, परस्तिश* में चूर पाया है।
कहकशां* - Galaxy - Here Constellation ; कुशादा - open up ; अफ़सुर्दा-मिज़ाज़ों - melancholic
वसीला - Supporter ; ख़िरद* - Rationality ; वर्क़* - The metal foil that covers sweets,
हकीम* - Doctor ; दिलासा* - Condolence ; तर्क* - argument
हदीसों - narrations ; काफ़िर* - non believers ; दाखिल* - enter ; सौबत* - company ; परस्तिश* - devotion
In those lean lanes of Khan Market
New constellations are formed every day
Many desires bloom and flourish
Many a depressed souls laugh everyday
He supports everyone, the man of the house
With emotions, the reality he seasons
He is famous as a doctor
Sometimes consoles, and sometimes reasons
He reminisces Kabir, Buddha and Bulleh shah
Everybody finds himself in his narrations
Many people come in doubting him
But are converted in his revelations