ज़िन्दगी जब भी मुझसे किसी बात पे रूठ जाती है
मैं उसे धीरे से मना लेती हूँ
वो मुझसे दूर जाने को ज़िद करती है
मैं उचक के उसे गले से लगा लेती हूँ
काश कुछ रिश्तों के साथ ऐसा हो पाता।
हर्फों *का सहारा है , नज़्मों से वाबस्ता* हूँ
वक़्त की नाव पर खुद की टीस * लिखकर मैं बहा देती हूँ
मेरी उल्फत* से बस एक वो ही तमकीन* नहीं
वरना अजनबियों को भी अक्सर अपना मैं बना लेती हूँ
हर्फों - Words, वाबस्ता : attachment, उल्फत: Affection, तमकीन*: satisfied
मैं उसे धीरे से मना लेती हूँ
वो मुझसे दूर जाने को ज़िद करती है
मैं उचक के उसे गले से लगा लेती हूँ
काश कुछ रिश्तों के साथ ऐसा हो पाता।
हर्फों *का सहारा है , नज़्मों से वाबस्ता* हूँ
वक़्त की नाव पर खुद की टीस * लिखकर मैं बहा देती हूँ
मेरी उल्फत* से बस एक वो ही तमकीन* नहीं
वरना अजनबियों को भी अक्सर अपना मैं बना लेती हूँ
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