वक़्त एक नाम फ़क्त है
मेरे आईने में रोज़ बदलती तस्वीरों का
मेरी ख्वाहिशों की जुम्बिशों का
ख्वाबों की मज़ारों पर परत बा परत बढ़ती मिटटी का l
वक़्त एक नाम फ़क्त है
मेरे माज़ी के मासूम गुनाहों का
रिश्तों में बढ़ती ख़लाओं का
मुट्ठी में भींची हुई दुआओं का l
मैं हूँ तोह वक़्त है
मैं नहीं तो क्या होता होगा?