दोस्ती वो चीज़ है
होती बड़ी अजीब है
खून का रिश्ता नहीं
होती सबसे वो करीब है।
इक ज़रा सी बात थी
हादसे की मुलाक़ात थी
यूँ ही तुम मिल गए
ख्वाहिश थी कायनात की
आधी रात की मैग्गी थी
Naveen Market की भेलपुरी थी
IIT में सडकों पर था टुल्ला
या पोर्च पे 2 बजे का बुल्ला था
ऐसा न था हम न लड़े
मुद्दे भी आये बड़े
पर जब भी दुखों की बात थी
हम साथ साथ थे खड़े
ज़िन्दगी का क्या पता
कहाँ कहाँ घुमाएगी
पर जहाँ भी जायें हम
यह दोस्ती साथ साथ जायेगी
होती बड़ी अजीब है
खून का रिश्ता नहीं
होती सबसे वो करीब है।
इक ज़रा सी बात थी
हादसे की मुलाक़ात थी
यूँ ही तुम मिल गए
ख्वाहिश थी कायनात की
आधी रात की मैग्गी थी
Naveen Market की भेलपुरी थी
IIT में सडकों पर था टुल्ला
या पोर्च पे 2 बजे का बुल्ला था
ऐसा न था हम न लड़े
मुद्दे भी आये बड़े
पर जब भी दुखों की बात थी
हम साथ साथ थे खड़े
ज़िन्दगी का क्या पता
कहाँ कहाँ घुमाएगी
पर जहाँ भी जायें हम
यह दोस्ती साथ साथ जायेगी