और भी कितनी खराशें हैं मेरी माज़ी में ,
एक ज़ख्म और देने का तुम्हें कोई मलाल न हो।
वजूद मेरा तुम्हारे फ़साने में फ़क़त इतना था ,
मेरे किरदार के ख़त्म होने का तुम्हे कोई मलाल न हो।
तुम्ही एक कसूरवार नहीं , मैं भी हूँ , वक़्त भी है
मुझसे बेवफाई का तुम्हे कोई कोई मलाल न हो
बहारें आएँगी फिर से उन्हें तो आना है.
चंद-रोज़ा ख़िज़ाँ का तुम्हे कोई मलाल न हो।
एक ज़ख्म और देने का तुम्हें कोई मलाल न हो।
वजूद मेरा तुम्हारे फ़साने में फ़क़त इतना था ,
मेरे किरदार के ख़त्म होने का तुम्हे कोई मलाल न हो।
तुम्ही एक कसूरवार नहीं , मैं भी हूँ , वक़्त भी है
मुझसे बेवफाई का तुम्हे कोई कोई मलाल न हो
बहारें आएँगी फिर से उन्हें तो आना है.
चंद-रोज़ा ख़िज़ाँ का तुम्हे कोई मलाल न हो।