दफ्तर से आकर उसने
ज़िन्दगी के Notes निकाले
और तख़्त पर बैठकर पढ़ने लगा l
हर वोह पल जो खुशनुमा था
एक पुराने पीले Highlighter से Mark किया l
वोह जब नौकरी लगी थी उसकी,
माँ बाबा के आँखों वाली ख़ुशी l
वोह सुमन के साथ गजरे की रात,
उसके महके हुए हाथों की ख़ुशी l
मुन्ने का रोना चलना दौड़ना,
और फिर दौड़ाने की ख़ुशी l
बड़ी शिद्दत से कमाई हुई खुशियों की,
अपने Retirement पर उसने
बड़े इत्मीनान से हल्दी की ll
ज़िन्दगी के Notes निकाले
और तख़्त पर बैठकर पढ़ने लगा l
हर वोह पल जो खुशनुमा था
एक पुराने पीले Highlighter से Mark किया l
वोह जब नौकरी लगी थी उसकी,
माँ बाबा के आँखों वाली ख़ुशी l
वोह सुमन के साथ गजरे की रात,
उसके महके हुए हाथों की ख़ुशी l
मुन्ने का रोना चलना दौड़ना,
और फिर दौड़ाने की ख़ुशी l
बड़ी शिद्दत से कमाई हुई खुशियों की,
अपने Retirement पर उसने
बड़े इत्मीनान से हल्दी की ll