बापू को तीन बार चाय पिलाती ख़ामोशी
माँ के साथ चूल्हे पे आँखें मसलती खामोशी
दादी के पैर रोज़ दबाती ख़ामोशी,
डोली पे गुड़िया जैसी सजी ख़ामोशी
बिस्तर पे बनके सेज खूब फबी ख़ामोशी।
तपके धूप में मटका भरकर पानी लाती ख़ामोशी
बच्ची को दूध पिलाकर, भूखी रहती ख़ामोशी
घुटने का दर्द सबसे छुपाती ख़ामोशी
पति के गुस्से को रोज़ पीती ख़ामोशी,
थी लाड़ली को उसकी खामोश करने की साज़िश
शेरनी सी दहाड़ी बरसों से दबी वोह ख़ामोशी ।
माँ के साथ चूल्हे पे आँखें मसलती खामोशी
दादी के पैर रोज़ दबाती ख़ामोशी,
डोली पे गुड़िया जैसी सजी ख़ामोशी
बिस्तर पे बनके सेज खूब फबी ख़ामोशी।
तपके धूप में मटका भरकर पानी लाती ख़ामोशी
बच्ची को दूध पिलाकर, भूखी रहती ख़ामोशी
घुटने का दर्द सबसे छुपाती ख़ामोशी
पति के गुस्से को रोज़ पीती ख़ामोशी,
थी लाड़ली को उसकी खामोश करने की साज़िश
शेरनी सी दहाड़ी बरसों से दबी वोह ख़ामोशी ।