बन गया
वो वक़्त के मज़ाक सा
जो नहीं कहा
रह गया हलक में
वो खराश सा
होठों पे उमंग है
ज़हन मगर उदास सा
गम ने ओढ़ रखा है
ख़ुशी का इक लिबास सा
जहाँ से उठके है चले
वो मेरे साथ हो लिया
जो दूर होना था
वो आ रहा है पास सा
हर एक पल कर रहा है
उम्र का हिसाब सा
जो अजनबी था
बन गया वो थोड़ा और खास सा